Wednesday, November 29, 2017

TRUE HAPPINESS AND SATISFACTION : सच्ची ख़ुशी और संतुष्टि

मित्रो !
                इस नश्वर जगत में सच्चे सुख और संतोष से बढ़कर कुछ भी नहीं है। सभी प्राणियों के प्रति दया, परोपकार और सच्चे प्यार तथा निस्वार्थ सेवा का भाव रख कर इनका आचरण करने वाला विनम्र और कर्मठ व्यक्ति ही सच्ची ख़ुशी और संतुष्टि पाता है।

                In this mortal world, there is nothing more than the true happiness and satisfaction. Only a diligent and humble person, who believes in altruism, compassion, true love and selfless service towards all creatures and who cultivates them, finds true happiness and contentment.


Friday, November 24, 2017

संघर्ष ही जीवन है : Struggle is Life

मित्रो !
      मनुष्य के अपने गंतव्य को पाने के रास्ते में अनेक प्रकार के प्रलोभन और आकर्षण सृष्टि के प्रारम्भ से ही चुनौतियों के रूप में रहे हैं। मनुष्य के चारों ओर का वातावरण इन प्रलोभनों और आकर्षणों के कारण एक अशांत समुद्र की तरह रहा है। वैश्वीकरण के चलते विभिन्न सभ्यताओं के तौर-तरीकों और परम्पराओं के संभावित आपसी मेल-मिलाप से इस अशांत समुद्र के विकराल रूप को और अधिक विस्तार मिला है। विचारों के खुले पन के चलते अनेक नयी चुनौतियों का प्रादुर्भाव हुआ है।
      मनुष्य का जीवन अशांत समुद्र में तैरने वाली एक नौका के समान होता है जिसका नाविक वह स्वयं होता है। जीवन को दिशा देने और सही गन्तव्य पर पहुँचने के लिए मनुष्य को पतवार उठाकर संघर्षरत रह कर नौका को स्वयं सही दिशा में खेना (to sail) होता है। जब मनुष्य नौका को स्वतंत्र छोड़ देता है तब समुद्र की अशांत लहरें या तो नौका को समुद्र में डुबो देती हैं अथवा नौका को अपनी दिशा में ले जातीं हैं।

      ऐसे में यदि हमने पौरुष का रास्ता नहीं चुना अथवा संघर्ष छोड़ने का विकल्प चुना तब हम दिशाहीन होकर पथ से भटक जायेंगे। बच्चे अबोध होते हैं, किशोरावस्था में उनके भटक जाने की संभावना अधिक होती है। बच्चों का कुशल नाविक के रूप में विकास हो, किशोरों में भटकाव की स्थिति उत्पन्न हो, इसका दायित्व भी हम सब पर है। यदि हम इस दिशा में अपना दायित्व निर्वहन कर सके तब हम उस चिड़िया से भी गए-गुजरे होंगे जो अपने बच्चे को तब तक तेज हवा में नहीं उड़ने देती जब तक वह आश्वस्त नहीं हो जाती कि उसका बच्चा तेज हवा के विपरीत उड़ने के काबिल हो गया है।

Thursday, November 23, 2017

Monday, November 20, 2017

लेट लतीफी से कैसे बचें : How to Avoid Delay

मित्रो !
                जीवन में अनेक कार्य हमें निश्चित समय पर पूरे करने होते हैं। हमें दैनिक जीवन में अनेक प्रयोजनों से प्रायः किसी स्थान पर पूर्व निर्धारित समय पर पहुंचना होता है। निर्धारित समय पर कार्य पूरा करने अथवा निर्धारित समय पर गंतव्य पर पहुंचने से हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। विलम्ब के अनेक संभावित अज्ञात कारणों के अतिरिक्त एक मूल कारण यह भी हो सकता है कि हम भूल जाएँ कि : -
                किसी भी गंतव्य पर पूर्व निर्धारित समय पर पहुँचने के लिए यात्रा प्रारम्भ किये जाने के समय का पूर्व निर्धारण किया जाना और ऐसे निर्धारित समय पर यात्रा प्रारम्भ किया जाना आवश्यक होता है। यात्रा प्रारम्भ करने के समय का निर्धारण करते समय हमें उन कारणों का भी ध्यान रखना होता है जो यात्रा समय पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। जहां यात्रा प्रारम्भ करने का समय किसी पूर्व-वर्ती कार्य के समाप्त होने पर निर्भर करता है वहां पूर्व-वर्ती कार्य के समाप्त होने का समय भी निर्धारित किया जाना आवश्यक होता है। किसी कार्य के पूर्व निर्धारित समय पर पूरा किये जाने के मामले में भी यही सब लागू होता है।
                यहॉं पर मैं अपने को स्पष्ट करने के लिए आपका परिचय एक काल्पनिक करेक्टर "मिस्टर एक्स" से करा रहा हूँ। 
1. मिस्टर एक्स जिस दिन वह अपने विद्यार्थी जीवन की आखिरी परीक्षा दे रहे थे उस दिन परीक्षा सुरू होने के 25 मिनट बाद परीक्षा केंद्र पर पहुंचे। तीन घंटे की जगह ढाई घंटे ही मिले। परिणाम यह हुआ कि 6 प्रश्नों की जगह 5 प्रश्नों का ही उत्तर लिख सके। परिणाम यह हुआ कि 5 अंकों के कम रह जाने से प्रथम श्रेणी की जगह द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए।
2. मिस्टर एक्स को एक प्राइवेट जॉब के लिए साक्षात्कार का बुलावा मिला। उस दिन दुर्भाग्य से मिस्टर एक्स को समय पर टैक्सी नहीं मिली और समय से पहुँचने पर इंटरव्यू नहीं दे सके। 
3. मिस्टर एक्स ने नौकरी के लिए प्रतियोगिता परीक्षा का आवेदन पत्र भरा किन्तु परीक्षा वाले दिन रास्ते पर लम्बा जाम लगे होने के कारण परीक्षा केंद्र पर डेढ़ घंटे देर से पहुंचे। परीक्षा शर्तों के अनुसार वे परीक्षा नहीं दे सके। अगले वर्ष पुनः परीक्षा देने का निर्णय लिया।
4. मिस्टर एक्स अगले वर्ष प्रतियोगिता परीक्षा में बैठे और नौकरी भी पा गए। किन्तु शायद ही कोई दिन हो जिस दिन वे समय पर कार्यालय पहुंचते हों। एक दिन उच्चाधिकारी ने आकश्मिक निरीक्षण प्रातः 10:30 बजे किया। मिस्टर एक्स अनुपस्थित मिले। इस पर उच्चाधिकारी ने चेतावनी दे दी कि अगर ऐसा ही रहा तब उन्हें समयनिष्ठा के विन्दु पर प्रतिकूल प्रवृष्टि दे दी जायेगी। 
5. मिस्टर एक्स कार्यालय देर से पहुँचने का दोष पत्नी पर मढ़ देते हैं कि उनके ब्रेकफास्ट या लंच बॉक्स देर से देने से वे कार्यालय के लिए लेट हो जाते हैं। इससे घर का माहौल ख़राब रहने लगा है।
 6. मिस्टर एक्स ने बच्चों की गर्मियों की छुट्टी में उनको हिल स्टेशन ले जाने का प्रोग्राम बनाया। रेलवे से आरक्षण भी करवाया किन्तु जिस दिन जाना था, रेलवे स्टेशन पर जब पहुंचे ट्रेन जा चुकी थी। प्रोग्राम रद्द करना पड़ा। बच्चे भी उनसे खिन्न रहने लगे हैं।
                अन्य लोगों के साथ भी ऐसा हो सकता है। उनके चाहते हुए भी विलम्ब होता हो। इसका कारण क्या हो सकता है। हो सकता है कि इस बीमारी से छुटकारा पाने का आपका कोई अन्य सुझाव हो किन्तु मैं जो कुछ सोच पाया हूँ वह यह है :

      जिस तरह किसी गंतव्य पर समय से पँहुचने के लिए समय पर यात्रा प्रारम्भ करनी होती है, उसी तरह किसी कार्य को समय पर पूरा करने के लिए उस कार्य का समय पर शुरू किया जाना भी आवश्यक होता है।