Sunday, March 26, 2017

आगामी नवरात्र पर्व आप सभी को मंगलमय हो

मित्रो !

     सामान्यतः नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र में की जाने वाली पूजा - अर्चना से ऐसा वातावरण बनता है जिसमें मन - मस्तिष्क निर्मल और सोच सकारात्मक रहती है।  इन दिनों में हम अवगुणों का त्याग करने और सदगुणों को धारण करने का संकल्प ले सकते हैं। आने वाला नवरात्र पर्व आप सभी को मंगलमय हो। माँ आप सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें।


Tuesday, March 21, 2017

ईश्वर का शुक्रिया कैसे अदा करें : HOW TO THANK GOD

मित्रो !
     मैंने अपनी कुछ पोस्टों में यह कहा था कि आदमी, ईश्वर जिसने उसे सब कुछ दिया है का शुक्रिया अदा नहीं करता जबकि अल्प लाभ के लिए दूसरों का शुक्रिया अदा करता है। यह मेरी गलती थी, उस समय मैं यह भूल गया था कि कोई भी पुत्र अपने पिता के उपकारों का शुक्रिया अदा करने की स्थिति में नहीं होता क्योंकि - - -

          शुक्रिया औपचारिकतावश अदा किया जाता है और पिता-पुत्र के बीच औपचारिकता का कोई स्थान नहीं होता। पिता द्वारा पुत्र पर किये गए उपकार पुत्र पर ऋण होते हैं। इस ऋण को चुकाना पुत्र का दायित्व होता है। ऐसा ऋण पिता की अपेक्षाओं को पूरा करके और पिता के आदर्शों पर चल कर ही चुकाया जा सकता है।  पुत्र से अपेक्षित होता है कि वह पिता की अपेक्षाओं और उनके आदर्शों को जाने और उनको अपना दायित्व मानकर यथासंभव पूरा करे। ईश्वर हमारा परम पिता है, उसके द्वारा हमारे ऊपर किये गए उपकारों की कोई सीमा नहीं है। अतः हम उसके ऋण से कभी मुक्त नहीं हो सकते।


माँ का श्रृंगार छीनने का दोषी कौन?

मित्रो!
      तीनो लोकों में न्यारी क्या यही वह पृथ्वी है जिस पर परी लोक से आने वाली परियां और देवलोक से आने वाले देवता विचरण किया करते थे। क्या यह वही पृथ्वी है जिस पर राम ने जन्म लेकर राक्षसों का विनाश किया था, जहां कृष्ण ने अर्जुन को गीता का अमर सन्देश दिया था, क्या आदि देव शिव - शंकर  की पावन तपो भूमि यही है।  क्या यही वह पृथ्वी है जिस पर ऋषि - मुनि  साधना और तपस्या किया करते थे, जहाँ अप्सराएं आकर नृत्य किया करतीं थीं।

             हरे-भरे बन, स्वच्छ जल के झरने और कल कल कर बहती स्वच्छ मीठे जल की नदियाँ, हरे भरे घास के मैदान और उन पर छलांग लगाते, कुलाटें भरते हिरणो के छौने और शेरों के शावकरंग-विरंगे फूल और फलों से लदे मस्ती में लहराते पेड़-पौधे यह सब जो पृथ्वी का श्रृंगार थे, कहाँ विलुप्त हो गए।
Meanings: शावक = बच्चे।   छौने = हिरन के बच्चे। 


Monday, March 20, 2017

DONATION : दान

Friends !
             Donation, of million pounds, given by millionaire out of its easy money, carries almost nil weightage for him whereas donation of single coin, by an honest and needy person out of its hard earned money, carries weightage of million pounds for him.
दान
मित्रो !
     करोड़पति द्वारा अनुचित तरीकों से अर्जित की गयी कमाई में से किया गया लाखों रूपया का दान उसके लिए किसी महत्व का नहीं होता वहीं पर एक जरूरतमंद और ईमानदार व्यक्ति द्वारा अपनी खून-पसीने की कमाई से एक रूपया का किया गया दान उसके लिए लाख रुपये का महत्व रखता है।


Sunday, March 19, 2017

ससुराल में बहिन-बेटियों की मौत एक चिंता का विषय

मित्रो !
         हमारी व्यस्तताएं इतनी बढ़ गयीं हैं कि हम अधिकाँश मामलों में अपनी बहिन-बेटियों की शादी कर देने के साथ ही अपना दायित्व पूर्ण मानकर अपने में व्यस्त हो जाते हैं। हम भूल जाते हैं कि एक पौधे को नर्सरी से निकालकर दूसरी जगह पर उसका  रोपण किये जाने पर कुछ समय तक, जब तक वह नयी जगह पर अपनी जड़ें नहीं जमा लेता, उसकी अधिक देख-भाल की आवश्यकता होती है।
         अनेक मामलों में ससुराल पक्ष का अनुचित व्यवहार, उत्पीडन, उपेक्षा या दबाव को सहन कर पाने की स्थिति में बहिन-बेटियां टूट जातीं हैं और स्वयं मौत को गले लगा लेतीं हैं या ससुराल पक्ष की अपेक्षाओं को पूरा करने की स्थिति में वे हिंसा की शिकार होतीं हैं और अनेक मामलों में उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है। अधिकाँश मामलों में बेटी पक्ष वालों को बेटी की  मृत्यु के बाद ही खबर मिलती है।
            गाँव  में प्रथा है कि लड़की शादी होने पर कुछ दिनों के लिए ही ससुराल जाती है, उसके भाई या पिता लड़की की ससुराल जाकर उसकी विदा कराकर बापस ले आते हैं। बापस आने के लगभग एक वर्ष बाद लड़की पुनः ससुराल जाती है। इस प्रक्रिया में लड़की द्वारा ससुराल में अल्प अवधि में किये गए अनुभवों, व्यवहार आदि की जानकारी भी मिल जाती है।  भाई या पिता जो विदा कराने जाते हैं को भी लड़की के ससुराल पक्ष वालों के व्यवहार के विषय में जानकारी मिल जाती है। इसके बाद भी कुछ ख़ास-ख़ास त्योहारों पर लड़की पक्ष के लोग लड़की की ससुराल में जाते रहते हैं, लड़की अपने मायके भी विशिष्ट अवसरों पर आती रहती है। इन परिस्थितियों में लड़की के साथ उसकी ससुराल पक्ष द्वारा किये जा रहे व्यवहार की जानकारी मिलती रहती है।
           शहरों में शादी के उपरांत की व्यवस्थाएं / परम्पराएं लगभग समाप्त हो गयीं हैं। हालात यहां तक गए हैं कि व्यवस्ताओं के चलते अनेक मामलों में लड़की पक्ष वाले लडके वालों के शहर में जाकर शादी करते हैं और वर-वधू के विवाह सूत्र में बंधने के बाद लड़की को ससुराल वालों को सौंप कर बापस लौट आते हैं।
           शहरों में आजकल हम फ़ोन से कुशलक्षेम की जानकारी मिलने की बात कह सकते हैं किन्तु हमें यह जानना चाहिए कि लड़की की स्थिति कैदी जैसी बना दी गयी हो, वहां पर कोई सही जानकारी मिलने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। मैं तो यह सुझाव देना चाहूँगा कि शादी के बाद भी लड़की के मायके पक्ष वालों को लड़की की ससुराल जाकर ससुराल पक्ष और लड़की से उस समय तक मिलते रहना चाहिए जब तक वे आश्वस्त नहीं हो जाते कि लड़की का जीवन पूरी तरह से ससुराल में सुरक्षित है। मेरा तो यह भी मानना है कि लड़की के पिता या भाई को लड़की की ससुराल में उनके परिचितों / पड़ोसियों से भी संपर्क में  रखना चाहिए क्योंकि कभी-कभी इन लोंगों से महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकतीं हैं।

         ससुराल वालों या लड़की के पति द्वारा लड़की की उपेक्षा किये जाने के अन्य कारण भी हो सकते हैं। ऐसा होना भी उचित नहीं है।  अवसर मिलाने पर मैं इन पर अलग से चर्चा करूंगा।


Friday, March 17, 2017

झगड़ा क्यों बढ़ता है

मित्रो !
ईश्वर ने जीभ (tongue) एक और कान दो इसलिए बनाये हैं कि मनुष्य जितना बोले उसका दो गुना सुने। दो व्यक्तियों के बीच झगड़ा तब बढ़ता है जब वे जितना सुनते हैं उसका कई गुना बोलते है।
मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी अधिक कहने के बजाय दूसरों की अधिक सुनने की आदत डाले।



Thursday, March 16, 2017

ईश्वर को कैसे अनुभव करें How to Experience God

मित्रो !
     मैंने ईश्वर को नहीं देखा है किन्तु मैंने अपने जीवन में ईश्वर को अनेक अवसरों पर अनुभव किया है जब  वह  मेरे वचाव में आया और उसने मेरे हित में होनी को अनहोनी में और अनहोनी को होनी में बदल दिया।

    मेरा  मानना  है कोई भी ऐसा व्यक्ति जो ईश्वर में विश्वास रखता है, अगर वह शांत चित्त से अपने बारे में ईमानदार आकलन करे तब वह भी ऐसा ही अनुभव करेगा।

Friends!
       I have not seen God but I have experienced God in my life on so many occasions when He came to my rescue and He changed impossibilities into possibilities and possibilities into impossibilities in my favor.
               I believe that any person who believes in God, if he assesses honestly about himself with a calm mind, then he will feel the same.


Tuesday, March 14, 2017

ईश्वर से दूर करता है अहंकार

मित्रो !
         जब हम किसी मुसीबत में फंसे होते हैं तब मुसीबत से बचाने के लिए हम ईश्वर को पुकारते हैं। ईश्वर हमें बचाता है किन्तु मुसीबत से बच निकलने के बाद ईश्वर का धन्यवाद करने के बजाय  इसका श्रेय स्वयं को देने लगते हैं। परिणामस्वरूप हम ईश्वर को भूल जाते हैं। 


Monday, March 13, 2017

विस्वास और धैर्य की परीक्षा

मित्रो !
    जहाँ ईश्वर ने समस्याएं बनायीं है वहीं उसने समस्याओं के समाधान भी रचे हैं। जहां एक रास्ता बंद हो जाता है, ईश्वर हमारे धैर्य की परीक्षा लेता है और हमारे लिए दूसरा रास्ता खोल देता है। जो व्यक्ति ईश्वर में विश्वास खोये बिना धैर्य के साथ अपना कर्म करता है उसे अपनी मंजिल अवश्य मिलती है।
     अंधी गली (Blind lane) के आख़िरी छोर पर रहने वाला व्यक्ति भी मुख्य मार्ग पाता है, मोटर वाहनों में रिवर्स गिअर होता है।

Sunday, March 12, 2017

मंगलमय हो होली

मित्रो!

   रंगों का यह त्यौहार, होली आपके जीवन में खुशी, खुशहाली, शांति और समृद्धि लाये। होली आप सभी को बहुत - बहुत मंगलमय हो।


Magic of Soft Spoken Words

Friends !

Humbleness and soft spoken words earn goodwill and friendship which otherwise cannot be earned by spending millions. 


Saturday, March 11, 2017

सभी को मंगलमय हो होली Happy Holi

मित्रो !
        छोटे-बड़ों, सभी को होली त्यौहार की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरा अनुरोध है कि हम सब आपसी मतभेद भुलाकर जाति-पाँति, ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी, छोटे-बड़े, दोस्ती-दुश्मनी, धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर सभी को निष्कपट भाव से गले लगायें। होली दिल से मनाएं।
         मेरा मानना है कि जो लोग ऐसा नहीं कर सकते उनके लिए होली का कोई महत्व नहीं है। बच्चों को रंगों से होली खेलने का हक़ है क्योंकि उनके दिल और दिमाग में किसी के लिए भेद-भाव नहीं होता, हम परिपक्व लोगों को चाहिए कि हम दिल से होली मनाएं।


Thursday, March 9, 2017

प्यार की खातिर FOR THE SAKE OF LOVE

मित्रो !

        यदि आप किसी भी व्यक्ति से प्यार करते हैं और उसे दुखी होते नहीं देखना चाहते तब आप तो ऐसा कोई कार्य करें और ही ऐसी कोई बात करें जिनसे उसको दुःख पहुंचने की संभावना हो। विपरीत इसके आप ऐसा कार्य और बात करें जिससे उसको ख़ुशी मिलती हो।


Wednesday, March 8, 2017

कहीं हम दोहरा चरित्र तो नहीं जी रहे

मित्रो !
     जब कभी कोई सोशल मीडिया या कहीं और माता-पिता का सम्मान करने करने, उन्हें कोई दुःख न पहुँचाने की बात करता है तब हम सभी इसकी सराहना करते हैं किन्तु उनमें से अनेक लोग होंगे जो अपने व्यावहारिक जीवन में इससे अनजान बने रहकर इसके विपरीत आचरण करते हैं। एक ही विचार की सराहना और उपेक्षा हमारा दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है।

     हमें चाहिए कि हम अच्छी बातों पर मनन कर अपने चरित्र का विश्लेषण करें और उन्हें व्यावहारिक जीवन में अपनाएं।


Tuesday, March 7, 2017

जीएसटी में निर्यात पर छूट : प्राविधानों का औचित्य एवं वैधता

Proposed Export Treatment Under GST In India
मित्रो !
प्रस्तावित माल और सेवा कर (Goods and Services Tax) से सम्बंधित ड्राफ्ट मॉडल जीएसटी लॉ और आईजीएसटी लॉ के संशोधित प्रारूपों, जैसे कि Central Board of Excise & Customs (CBEC), भारत सरकार द्वारा फरबरी 23, 2017 को लांच की गए मोबाइल ऐप में उपलब्ध है, के अनुसार
    जीएसटी में एक्सपोर्ट के क्रम में माल की सप्लाई पर छूट जारी रखने का उद्देश्य है। लेकिन पहले टैक्स जमा करना है फिर एक्सपोर्ट के निर्धारित साक्ष्य देकर जमा की गयी धनराशि का रिफंड क्लेम करना है। अथवा माल व्यापार  स्थल से हटाने से पूर्व कर विभाग (tax department) में बांड (security bond) जमा कर अनुमति प्राप्त की जाय बाद में जब माल एक्सपोर्ट हो जाय उसके बाद निर्धारित साक्ष्य देकर इनपुट टैक्स क्रेडिट की धनराशि का रिफंड का क्लेम दाखिल किया जाय। विभाग जांच के बाद क्लेम सही पाए जाने पर तीन माह के अंदर रिफंड देगा।  यह प्रक्रिया कारोबारियों की कठिनाइयां बढ़ाने वाली और उनकी वर्किंग कैपिटल के एक बड़े भाग को अवरुद्ध करने वाली है। इससे  जीएसटी की कम्प्लाइंस कॉस्ट बढ़ेगी और समय तथा श्रम का दुरुपयोग भी होगा।  एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार ऐसी व्यवस्था असंवैधानिक भी है।
    ड्राफ्ट का प्रारूप तैयार करने वाले विद्वान अधिकारियों ने उपर्युक्त आशय के प्राविधान Central Excise से लिए हैं किंतु ऐसा करते समय वे यह भूल गए है कि - The taxable event under the Central Excise law is ‘manufacture’ and the liability of Central Excise Duty arises as soon as the goods are manufactured. Before clearance of goods from area of manufacture, excise invoice is to be prepared and amount of excise duty is to be self-assessed by the manufacturer even if goods are to be shifted for storage at some other place.
     दूसरे Central Excise के प्राविधानों के अन्तर्गत निर्माण स्थल से माल हटाने की तिथि से  छह माह के अंदर या आगे बढ़ाये गए समय में एक्सपोर्ट किया जा सकता है।
          In the GST, taxable event is "supply of goods and / or services". Where goods are being supplied in the course of export, taxable event will be "supply of goods in the course of export". Here taxable event will not arise before goods come in the stream of export. Since the event is to be kept exempt from levy of GST, supplier will not be required to pay tax. As soon as the goods are cleared for export, the documents required for claiming exemption are available with the supplier.
        In the aforesaid circumstances, there is no need of the provision like in the Central Excise for depositing tax or for submitting security bond in respect of supply taking place in the course of export.
    यह विचारणीय है कि यदि किसी संव्यवहार पर कर देय नहीं है तब यह व्यवस्था नहीं की जा सकती कि taxpayer से पहले कर जमा कराया जाय और बाद में उसे ऐसी धनराशि बापस कर दी जाय। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मेसर्स भवानी कॉटन मिल्स लिमिटेड वनाम पंजाब राज्य एवं अन्य, निर्णय दिनांक 10-04-1967  मामले में ऐसी व्यवस्था को अवैध (invalid) ठहराया (held invalid) है।
"If a person is not liable for payment of tax at all, at any time, the collection of a tax from him with a possible contingency of refund at a later stage will not make the original levy valid."
प्रस्तावित व्यवस्था से इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा और कारोबारियों के  व्यापार में लगी वर्किंग कैपिटल प्रतिकूल रूप में प्रभावित होगी।
        एक्सपोर्ट के क्रम में माल की सप्लाई पर कर लगाने (tax levy) के उद्देश्य से सप्लाई को अंतर्राज्यीय सप्लाई माने जाने का प्राविधान किया गया है। यह संविधान के अनुरूप नहीं है। अप्रमाणित एक्सपोर्ट सप्लाई राज्य के अंदर की सप्लाई या अंतर-राज्यीय सप्लाई में से कोई भी सप्लाई हो सकती है।
एक बात  और भी विचारणीय यह है कि संविधान में राज्यों को  "supply of goods and / or services which takes place in the course of export out of the territory of India"  पर कर लगाने की संविधान के आर्टिकल  286 में मनाही है लेकिन जो सप्लाई  "in the course of export" होकर अन्यथा एक्सपोर्ट है पर कर लगाने का अधिकार राज्यों को भी प्राप्त है। उदाहरण के लिए अमेरिका में रहने वाला अनिवासी भारतीय (NRI) अपने साथ भारत से एक गिटार खरीद कर अमेरिका ले जाता है। इस उदहारण में भी गिटार का एक्सपोर्ट हो जाता है। किन्तु इस उदहारण में गिटार की सप्लाई "supply of goods in the course of export of goods out of the territory of India" नहीं है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम, 1957 में धाराएं 3 व 5 लागू होने तक की अवधि के मामलों में अनेक बार यह निर्णय दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 269 व 286 में प्रयुक्त शब्दों "in the course of" विशिष्ट अर्थ रखते हैं। 

मेरा विचार और सुझाव भी है कि यदि मॉडल ड्राफ्ट में प्रस्तावित व्यवस्था में यथोचित परिवर्तन नहीं किया गया है तब सम्बंधित पक्षों को अपना पक्ष सरकारों के सामने रखना चाहिए।  मेरा यह भी मानना है कि जीएसटी काउन्सिल की संस्तुतियां पार्लियामेंट या राज्यों की अस्सेम्बलीज़ के लिए बाध्यकारी प्रभाव नहीं रखतीं हैं।