Thursday, April 28, 2016

भावनाओं का खेल

मित्रो !

     हमें अच्छी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। भावना के बल पर ही हमारा ईश्वर से साक्षात्कार होता है, भावना से ही प्यार पलता है, भावना से ही किसी कार्य को करने की प्रेरणा मिलती है और भावना ही हमें प्रगति के पथ पर आगे ले जाती है। किसी कार्य का शुभारम्भ करने की दिशा में भावना पहली सीढ़ी होती है।
    हमारे जीवन में जो कुछ घटित हो रहा है वह सब भावनाओं का खेल है। मनुष्य को चाहिए कि वह अच्छी भावनाओं का पोषण करे और खराब भावनाओं को पनपने दे।


Monday, April 25, 2016

माँ धरती को करें प्रणाम

मित्रो !

     माँ के साथ दुर्व्यवहार और दुराचार करने का दुस्साहस बिरले ही करते हैं। ऐसे में धरती के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और दुराचार को रोकने में हम तब तक कामयाब नहीं हो सकते जब तक हम दिल से धरती को उसका माँ का दर्जा उसे लौटा नहीं देते।
हमें चाहिए कि हम स्वयं बसुंधरा को माँ माने और अपनी संतानों को भी धरती को माँ मानकर उसका सम्मान करना सिखाएं। प्रत्येक माँ अपने बच्चों को समझाए कि वह उनकी जन्मदात्री अवश्य है किन्तु जन्म के बाद उनका जीवन भर पालन-पोषण करने वाली उनकी माँ धरती माँ है। यह ऐसी माँ है जो जीवन भर साथ निभाने वाली है। यह हम सब की माँ है, यह माँ की भी माँ है, यह परम माँ है।